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अपने हसीन होंठों को

अपने हसीन होंठों को किसी परदे में छुपा लिया करो, हम गुस्ताख लोग हैं नज़रों से चूम लिया करते हैं...
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आज करीब से




आज करीब से गुज़र कर गई है..

अनदाज-बे-नाम कर गई है..

मईय्यत पर मेरी रुक कर अनजान बन गई है..

पुछती है लोगों से..

ये किस की मईय्यत सजाई गई है..


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