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शादी का सुंदर बंधन - Shadi Ka Sundar Bandhan

शादी है प्रेम का मधुर एहसास, दो दिलों का पावन विश्वास। सात फेरे, सात जनम का साथ, हर सुख-दुख में रहे हाथों में हाथ। मंगल गीतों की गूँजे धुन, खुशियों से भर जाए हर गली, आँगन। सम्मान, भरोसा, प्रेम हो गहरा, साथ निभाए हर मौसम में ठहरा। नवजीवन का सुंदर आरंभ, शादी है प्रेम का सच्चा संगम। 
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क्यों इतना गमो से


क्यों इतना गमो से वास्ता रखने लगा हू,
खुद से ही क्यों जुदा होने लगा हुँ।

उस अनजान कि खातिर,  जान पहचान वालो से,
रकीबो सा रिश्ता रखने लगा हुँ।

इतना जिद्दी तो वो खुदा भी नहीं जिसने बनाया है उसे,
क्यों उसके लिए खुदा से रूठ रहा हुँ।

बहुत दूर है वो समझता है दिल मेरा,
क्यों पास लाने के लिए दिल से खेल रहा हुँ।

एक छोटी सी बात समझ नहीं पाता मन मेरा.
वो पराया है क्यों उसे अपना बनाने चला हुँ।