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अपने हसीन होंठों को

अपने हसीन होंठों को किसी परदे में छुपा लिया करो, हम गुस्ताख लोग हैं नज़रों से चूम लिया करते हैं...
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क्यों इतना गमो से


क्यों इतना गमो से वास्ता रखने लगा हू,
खुद से ही क्यों जुदा होने लगा हुँ।

उस अनजान कि खातिर,  जान पहचान वालो से,
रकीबो सा रिश्ता रखने लगा हुँ।

इतना जिद्दी तो वो खुदा भी नहीं जिसने बनाया है उसे,
क्यों उसके लिए खुदा से रूठ रहा हुँ।

बहुत दूर है वो समझता है दिल मेरा,
क्यों पास लाने के लिए दिल से खेल रहा हुँ।

एक छोटी सी बात समझ नहीं पाता मन मेरा.
वो पराया है क्यों उसे अपना बनाने चला हुँ।