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अपने हसीन होंठों को

अपने हसीन होंठों को किसी परदे में छुपा लिया करो, हम गुस्ताख लोग हैं नज़रों से चूम लिया करते हैं...

युँही बे सबाब - Yuuhi be sabab

युँही बे सबाब ना फिरा करो,
 कोई शाम घर भी रहा करो..
वो गज़ल की सच्ची किताब है,
 उसे छुपके-छुपके पड़ा करो..
मुझे इश्तिहार सी लगती हैं..
  ये महोब्बतों की कहनीयाँ..
जो सुना नहीं वो कहा करो..
 जो कहा नहीं वो सुना करो..
Yuuhi be sabab na phira kero,
 koi shaam ghar b raha kro,
woh ghazal ki sachi kitab hay,
 usay chupkey chupkey parha kro,
Mujhey ishtehar c lagti hen..
 ye moHabbatun ki kahaniyan,
jo suna nahi wo kaha kro,
 jo kaha nahi woh suna kro..