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अपने हसीन होंठों को

अपने हसीन होंठों को किसी परदे में छुपा लिया करो, हम गुस्ताख लोग हैं नज़रों से चूम लिया करते हैं...

ना जाने क्युँ मैं - na Jaane kyun Mein

ना जाने क्युँ मैं तुझसे ...
......कुछ ज्यादा रूठा करती हुँ,
तेरी दूरी सह जाऐ इसके लिए...
..... दिल को अपने मनाया करती हुँ,
कभी तो तुझे जैसे बहुत ही बुरा कह लेती हुँ..
पर दोस्त जब तेरी दोस्ती की मिसालें याद आती है
..... तो तुझे दुआऐं दिया करती हुँ


Na jaane kyun mein tujh se kuch zyada rootha karti hoon
teri doori seh jaaye is ke liye dil ko apne manaya karti hoon
kabhi to tujhe jaise bohot hi bura keh leti hoon per dost jab
teri dosti ki misaalein yaad aati hain tujhe duaein diya karti hoon