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अपने हसीन होंठों को

अपने हसीन होंठों को किसी परदे में छुपा लिया करो, हम गुस्ताख लोग हैं नज़रों से चूम लिया करते हैं...

Ankho Me Yahi Sulagte Sawal

Ankho Me Yahi Sulagte Sawal
आँखों में यहीं सुलगते, सवाल खड़े हैं |
कुछ लोग हीं क्यों देश में , खुशहाल खड़े हैं ?
पैंसठ बरस के बाद भी, इन्साफ के लिए
क्यों आम लोग हीं यहाँ, फटेहाल खड़े हैं ?
कौड़ी का आदमी था ,संसद गया जबसे ,
सुना शहर में उसके, कई माँल खड़े हैं |
किस भाँति देश बेचना, तरकीब सोचते ,
पग-पग पे यहाँ देखिये, दलाल खड़े हैं |
कुर्सी की साजिशों का, परिणाम देखिये ,
सर्वत्र जाति-धर्म के, दीवाल खड़े हैं |
कैसे उगेगा प्यार का पौधा, बताइए ,
दिल में घृणा के बरगद, जब पाल खड़े हैं |

Poet Unknown

Comments

  1.   



     


       जमीर बेच के नफरत जगाते रहते हैं।
       लूह से प्यास वह अपनी बुझाते रहते है!
       जीन्हें पसंद नही हिन्दु मुसलमानों का मिलना
        वो जान बुझ के    दंगे     कराते    रहते है.!

                ♻ मोहम्मद सूएब अंसारी♻

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  2.    जमीर बेच के नफरत जगाते रहते हैं।
        लूह से प्यास वह अपनी बुझाते रहते है!
        जीन्हें पसंद नही हिन्दु मुसलमानों का मिलना
        वो जान बुझ के    दंगे     कराते    रहते है.!

                ♻ मोहम्मद सूएब अंसारी♻

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