शादी का सुंदर बंधन - Shadi Ka Sundar Bandhan
शादी है प्रेम का मधुर एहसास, दो दिलों का पावन विश्वास। सात फेरे, सात जनम का साथ, हर सुख-दुख में रहे हाथों में हाथ। मंगल गीतों की गूँजे धुन, खुशियों से भर जाए हर गली, आँगन। सम्मान, भरोसा, प्रेम हो गहरा, साथ निभाए हर मौसम में ठहरा। नवजीवन का सुंदर आरंभ, शादी है प्रेम का सच्चा संगम।
जो अपनी ही मस्तीमें चुर रहते है वही खुदासे खुदको जोड पाते है। खुदा वो जो शरीर मन बुध्धिको अपने बसमे रखता है और मस्ति वो है जीसमे सारा जह डूबके अपने आपको भूआके खुदामें रंग जाते है। खुशामत सिर्फ और सिर्फ खुदा को ही प्यारी है। शरीर मन बुध्धि तो साधन है उस खुदाका जो भगवद गीतामे भी भगवान श्री कृष्णने बताया मैने मेरी माया के द्वारा मरुभूमिपे जन्म लिया है जीसक नाम रुप है पर यह मेरा पता नहि है मेरा पता उन लोगोके पास है जीन्होने शरीर मन बुध्धि को अपने अंदर अपने परमात्माको समर्पित कर दिया हो। वैसे तो परमात्मा हर जगह है पर कहते है न जो आपके पास है आपकी वृतिओ को वशमे रखने वाला जीसका कब्जा है आपकी प्रकृती पर और तो और कर्म के अधिकारी आप बने और फलको देनेवाला वह है वह खुदा-अल्लाह परमेश्वर जीसको नाम रुपसे कोइ लेना देना नहि है क्योंकि जब नरसिंह महेता मुग्ध हो गये राधाजी और कृष्णजीकी राशलीला देखते देखते तो हाथमें पकडी हुइ मशाल उनका हाथ जला रहीथी और वह इतने तल्लीनथे उस राश लिलामे के उनको पताही नहि थाके वे कहा है और शरीर कहा तब राधाजीने देखाके महेताजीका हाथ जल रहा है तो श्री कृष्णजीको बताया पर वे बोले जलने दो हाथ मेरे पास बहोत पडे है पर ये आनंद जो वे ले रहे है वह उनका खुदका है जो सिधा मुजतक पहोंच रहा है जीसका मुल्य मै खुद हुँ जीसके लिये जन्म हुवा है जीसको प्राप्त करके मनुष्य मनुष्य योनिमे जन्मतो लेता है पर शरीर मन बुध्धिसे पर रहता है उसेहि खुदा कहते है जीसको खुशामत प्यारी है।
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