शादी का सुंदर बंधन - Shadi Ka Sundar Bandhan
शादी है प्रेम का मधुर एहसास, दो दिलों का पावन विश्वास। सात फेरे, सात जनम का साथ, हर सुख-दुख में रहे हाथों में हाथ। मंगल गीतों की गूँजे धुन, खुशियों से भर जाए हर गली, आँगन। सम्मान, भरोसा, प्रेम हो गहरा, साथ निभाए हर मौसम में ठहरा। नवजीवन का सुंदर आरंभ, शादी है प्रेम का सच्चा संगम।
जग में तूफान -आंधी -सुनामी होता है,भूकंप भी ;
ReplyDeleteनहीं कह सकते मनुष्य मन ,दयालु के बीच एक निर्दयी है काफी
एक घड़े भर की भात में ,एक बूँद विष भी काफी;
प्यार भरा संसार है तो घृणा की बात क्यों;
सत्य बार संसार हो तो असत्य का अस्तितिव क्यों?
सुख मय संसार् है तो दुःख कीबात क्यों?
फूल ही फूल है तो कांटे भी तो है साथ ही;
मृदु रेत है तो उसमें कंकट भी मिश्रित है.
Jeevan me yadi dukh na ho or sukh hi sukh ho to wo jeevan he kya hai
Deleteआपसे विनम्र निवेदन है कि जब भी कोई कविता या शायरी या ग़ज़ल पेस्ट या शेयर करें, कृपया, शायर/कवि का नाम अवश्य लिखें. इससे आपकी और शायर/कवि दोनों की ही विश्वसनीयता बनी रहेगी और पाठकों को भी पता चलेगा कि आखिर ये रचना किसकी है. अच्छा होगा यदि आप इस रचना के नीचे इसके शायर/कवि ‘डॉ. राकेश जोशी’ का नाम लिखेंगे.
ReplyDeleteकृपया, मेरे निवेदन को अन्यथा नहीं लेंगे.
सादर,
डॉ. राकेश जोशी