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अपने हसीन होंठों को

अपने हसीन होंठों को किसी परदे में छुपा लिया करो, हम गुस्ताख लोग हैं नज़रों से चूम लिया करते हैं...
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चढ़दे सूरज - Bulleh Shah Shayari

फकीर बुलेशाह से जब किसी ने पूछा कि आप इतनी गरीबी में भी भगवान का शुक्रिया कैसे करते हैं तो बुलेशाह ने कहा..

चढ़दे सूरज ढलदे देखे,
 बुझदे दीवे बलदे देखे ।
हीरे दा कोइ मुल ना जाणे,
 खोटे सिक्के चलदे देखे ।
जिना दा न जग ते कोई,
 ओ वी पुत्तर पलदे देखे ।
उसदी रहमत दे नाल बंदे,
 पाणी उत्ते चलदे देखे ।
लोकी कैंदे दाल नइ गलदी,
 मैं ते पत्थर गलदे देखे ।
जिन्हा ने कदर ना कीती रब दी,
 हथ खाली ओ मलदे देखे ।
कई पैरां तो नंगे फिरदे,
 सिर ते लभदे छावा...
मैनु दाता सब कुछ दित्ता,
 क्यों ना शुकर मनावा...

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