Skip to main content

Featured

अपने हसीन होंठों को

अपने हसीन होंठों को किसी परदे में छुपा लिया करो, हम गुस्ताख लोग हैं नज़रों से चूम लिया करते हैं...
Home » Dosti Shayari » इसीलिए मैं दोस्त बनाता हुँ..

इसीलिए मैं दोस्त बनाता हुँ..

 hindi shayari on Friendship.

रहता हुँ किराये की काया में,
रोज़ सांसों को बेच कर किराया चूकाता हुँ...!
मेरी औकात है बस मिट्टी जितनी,
बात मैं महल मिनारों की कर जाता हुँ...
जल जायेगी ये मेरी काया ऐक दिन,
फिर भी इसकी खूबसूरती पर इतराता हुँ...!
मुझे पता है मैं खुद के सहारे श्मशान तक भी ना जा सकूंगा,
इसीलिए मैं दोस्त बनाता हुँ ...!!