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हैप्पी लोहड़ी शायरी 2024 - Happy Lohri Shayari 2024

इस लोहड़ी पर सबसे प्यारी शायरी से दें अपनों को हार्दिक शुभकामनाएं लोहड़ी पर्व भारत में प्रसिद्ध है और पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व मकर संक्रांति के पूर्व शाम को मनाया जाता है, जब सूर्य अपने उत्तरायण में प्रवेश करता है। इसे अग्नि का पर्व भी कहा जाता है, जिसमें लोग आग के आसपास इकट्ठा होते हैं , नाचते-गाते हैं और रात भर जलती हुई आग के आसपास मिलकर खाने-पीने का आनंद लेते हैं। इस त्योहार का महत्व है फसलों की फसल को समर्पित करना और धन की बरक्कत के लिए धन्यवाद देना। The Lohri festival is celebrated with great enthusiasm in Punjab, Haryana, Himachal Pradesh, and Delhi in India. This festival is observed on the eve of Makar Sankranti when the sun enters its northward journey. Also known as the festival of fire, people gather around bonfires, sing and dance, and enjoy food and drinks throughout the night. The significance of this festival lies in dedicating it to the harvest of crops and expressing gratitude for the blessings of wealth. इस से पहले क

नवरात्री की शुभकामनाएं - Happy Navratri Wishes

शायरी से इस नवरात्री में माँ दुर्गा का स्वागत करे...

तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
सिंह की सवार बनकर
रंगों की फुहार बनकर
पुष्पों की बहार बनकर
सुहागन का श्रंगार बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
खुशियाँ अपार बनकर
रिश्तों में प्यार बनकर
बच्चों का दुलार बनकर
समाज में संस्कार बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
रसोई में प्रसाद बनकर
व्यापार में लाभ बनकर
घर में आशीर्वाद बनकर
मुँह मांगी मुराद बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
संसार में उजाला बनकर
अमृत रस का प्याला बनकर
पारिजात की माला बनकर
भूखों का निवाला बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी बनकर
चंद्रघंटा, कूष्माण्डा बनकर
स्कंदमाता, कात्यायनी बनकर
कालरात्रि, महागौरी बनकर
माता सिद्धिदात्री बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
तुम्हारे आने से नव-निधियां
स्वयं ही चली आएंगी
तुम्हारी दास बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
सभी पर माँ की कृपा खूब बरसे.
नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं 


माँ दुर्गा के नौ रूप…को विस्तार से जानें…शेयर करे


माँ दुर्गा अपने 9 दिनों के नवरात्री महोत्सव में अपने 9 रूपों के लिए जानी जाती है और दुनिया भर में अपने भक्तो द्वारा पूजी जाती है। नौ दिन की अविधि शुक्ल पक्ष के दिन से नौवे दिन अश्विना तक हिंदू कैलेंडर के सबसे शुभ समय माना जाता है और इसलिए दुर्गा पूजा के रूप में वर्ष की सबसे मशहूर समय माना जाता है।
नौ रूप नौ दिन तक लगातार अलग अलग पूजे जाते है...
देवी दुर्गा के नौ रूप कौन कौन से है…

प्रथम् शैल-पुत्री च, द्वितियं ब्रह्मचारिणि
तृतियं चंद्रघंटेति च चतुर्थ कूषमाण्डा
पंचम् स्कन्दमातेती, षष्टं कात्यानी च
सप्तं कालरात्रेति, अष्टं महागौरी च
नवमं सिद्धिदात्री

👉 शैलपुत्री ( पर्वत की बेटी )

1) वह पर्वत हिमालय की बेटी है और नौ दुर्गा में पहली रूप है । पिछले जन्म में वह राजा दक्ष की पुत्री थी । इस जन्म में उसका नाम सती-भवानी था और भगवान शिव की पत्नी । एक बार दक्ष ने भगवान शिव को आमंत्रित किए बिना एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया था देवी सती वहा पहुँच गयी और तर्क करने लगी। उनके पिता ने उनके पति (भगवान शिव) का अपमान जारी रखा था , सती भगवान् का अपमान सहन नहीं कर पाती और अपने आप को यज्ञ की आग में भस्म कर दी | दूसरे जन्म वह हिमालय की बेटी पार्वती - हेमावती के रूप में जन्म लेती है और भगवान शिव से विवाह करती है।

👉 ब्रह्मचारिणी  (माँ दुर्गा का शांति पूर्ण रूप)

2) दूसरी उपस्तिथि नौ दुर्गा में माँ ब्रह्माचारिणी की है।
" ब्रह्मा " शब्द उनके लिए लिया जाता है जो कठोर भक्ति करते है और अपने दिमाग और दिल को संतुलन में रख कर भगवान को खुश करते है । यहाँ ब्रह्मा का अर्थ है "तप" । माँ ब्रह्मचारिणी की मूर्ति बहुत ही सुन्दर है । उनके दाहिने हाथ में गुलाब और बाएं हाथ में पवित्र पानी के बर्तन ( कमंडल ) है । वह पूर्ण उत्साह से भरी हुई है । उन्होंने तपस्या क्यों की उसपर एक कहानी है | पार्वती हिमवान की बेटी थी। एक दिन वह अपने दोस्तों के साथ खेल में व्यस्त थी नारद मुनि उनके पास आये और भविष्यवाणी की "तुम्हरी शादी एक नग्न भयानक भोलेनाथ से होगी और उन्होंने उसे सती की कहानी भी सुनाई । नारद मुनि ने उनसे यह भी कहा उन्हें भोलेनाथ के लिए कठोर तपस्या भी करनी पढ़ेगी। इसीलिए माँ पार्वती ने अपनी माँ मेनका से कहा की वह शम्भू (भोलेनाथ ) से ही शादी करेगी नहीं तोह वह अविवाहित रहेगी। यह बोलकर वह जंगल में तपस्या निरीक्षण करने के लिए चली गयी। इसीलिए उन्हें तपचारिणी ब्रह्मचारिणी कहा जाता है।

👉 चंद्रघंटा ( माँ का गुस्से का रूप )

3) तीसरी शक्ति का नाम है चंद्रघंटा जिनके सर पर आधा चन्द्र (चाँद ) और बजती घंटी है । वह शेर पर बैठी संगर्ष के लिए तैयार रहती है । उनके माथे में एक आधा परिपत्र चाँद ( चंद्र ) है। वह आकर्षक और चमकदार है । वह ३ आँखों और दस हाथों में दस हथियार पकडे रहती है और उनका रंग गोल्डन है । वह हिम्मत की अभूतपूर्व छवि है । उनकी घंटी की भयानक ध्वनि सभी राक्षसों और प्रतिद्वंद्वियों को डरा देती है ।

👉 कुष्मांडा ( माँ का ख़ुशी भरा रूप )

4) माँ के चौथे रूप का नाम है कुष्मांडा ।
" कु" मतलब थोड़ा "शं " मतलब गरम "अंडा " मतलब अंडा । यहाँ अंडा का मतलब है ब्रह्मांडीय अंडा । वह ब्रह्मांड की निर्माता के रूप में जानी जाती है जो उनके प्रकाश के फैलने से निर्माण होता है । वह सूर्य की तरह सभी दस दिशाओं में चमकती रहती है। उनके पास आठ हाथ है , साथ प्रकार के हथियार उनके हाथ में चमकते रहते है । उनके दाहिने हाथ में माला होती है और वह शेर की सवारी करती है।

👉 स्कंदमाता ( माँ के आशीर्वाद का रूप )

5) देवी दुर्गा का पांचवा रूप है " स्कंद माता ", हिमालय की पुत्री , उन्होंने भगवान शिव के साथ शादी कर ली थी । उनका एक बेटा था जिसका नाम "स्कन्दा " था स्कन्दा देवताओं की सेना का प्रमुख था । स्कंदमाता आग की देवी है। स्कन्दा उनकी गोद में बैठा रहता है । उनकी तीन आँख और चार हाथ है। वह सफ़ेद रंग की है । वह कमल पैर बैठी रहती है और उनके दोनों हाथों में कमल रहता है ।

👉 कात्यायनी ( माँ दुर्गा की बेटी जैसी )

6) माँ दुर्गा का छठा रूप है कात्यायनी ।
एक बार एक महान संत जिनका नाम कात्यायन  था , जो अपने समय में बहुत प्रसिद्ध थे , उन्होंने देवी माँ की कृपा प्राप्त करने के लिए लंबे समय तक तपस्या करनी पढ़ी , उन्होंने एक देवी के रूप में एक बेटी की आशा व्यक्त की थी । उनकी इच्छा के अनुसार माँ ने उनकी इच्छा को पूरा किया और माँ कात्यायनी का जन्म कात्यायन के पास हुआ माँ दुर्गा के रूप में ।

👉 कालरात्रि ( माँ का भयंकर रूप )

7) माँ दुर्गा का सातवाँ रूप है कालरात्रि ।
वह काली रात की तरह है, उनके बाल बिखरे होते है, वह चमकीले आभूषण पहनती है। उनकी तीन उज्जवल ऑंखें है ,हजारो आग की लपटे निकलती है जब वह सांस लेती है। वह शावा (मृत शरीर ) पे सावरी करती है,उनके दाहिने हाथ में उस्तरा तेज तलवार है। उनका निचला हाथ आशीर्वाद के लिए है। । जलती हुई मशाल ( मशाल ) उसके बाएं हाथ में है और उनके निचले बाएं हाथ में वह उनके भक्तों को निडर बनाती है। उन्हें "शुभकुमारी" भी कहा जाता है जिसका मतलब है जो हमेश अच्छा करती है।

👉 महागौरी ( माँ पार्वती का रूप और पवित्रता का स्वरुप )

8) आठवीं दुर्गा " महा गौरी है "।
वह एक शंख , चंद्रमा और जैस्मीन के रूप सी सफेद है , वह आठ साल की है , उनके गहने और वस्त्र सफ़ेद और साफ़ होते है । उनकी तीन आँखें है , उनकी सवारी बैल है , उनके चार हाथ है । उनके निचले बाय हाथ की मुद्रा निडर है , ऊपर के बाएं हाथ में " त्रिशूल " है , ऊपर के दाहिने हाथ डफ है और निचला दाहिना हाथ आशीर्वाद शैली में है । वह शांत और शांतिपूर्ण है और शांतिपूर्ण शैली में मौजूद है । यह कहा जाता है जब माँ गौरी का शरीर गन्दा हो गया था धुल के वजह से और पृत्वी भी गन्दी हो गयी थी जब भगवान शिव ने गंगा के जल से उसे साफ़ किया था। तब उनका शरीर बिजली की तरह उज्ज्वल बन गया इसीलिए उन्हें महागौरी कहा जाता है । यह भी कहा जाता है जो भी महा गौरी की पूजा करता है उसके वर्तमान , अतीत और भविष्य के पाप धुल जाते है।

👉 सिद्धिदात्री (माँ का ज्ञानी रूप )

9) माँ का नौवा रूप है " सिद्धिदात्री "
आठ सिद्धिः है ,जो है अनिमा , महिमा , गरिमा , लघिमा , प्राप्ति , प्राकाम्य , लिषित्वा और वशित्व। माँ शक्ति यह सभी सिद्धिः देती है। उनके पास कई अदबुध शक्तिया है , यह कहा जाता है "देवीपुराण" में भगवान शिव को यह सब सिद्धिः मिली है महाशक्ति की पूजा करने से। उनकी कृतज्ञता के साथ शिव का आधा शरीर देवी का बन गया था और वह " अर्धनारीश्वर " के नाम से प्रसिद्ध हो गए। माँ सिद्धिदात्री की सवारी शेर है , उनके चार हाथ है और वह प्रसन्न लगती है । दुर्गा का यह रूप सबसे अच्छा धार्मिक संपत्ति प्राप्त करने के लिए सभी देवताओं , ऋषियों मुनीस , सिद्ध , योगियों , संतों और श्रद्धालुओं के द्वारा पूजा जाता है।


जय माता दी


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