Skip to main content

Featured

शादी का सुंदर बंधन - Shadi Ka Sundar Bandhan

शादी है प्रेम का मधुर एहसास, दो दिलों का पावन विश्वास। सात फेरे, सात जनम का साथ, हर सुख-दुख में रहे हाथों में हाथ। मंगल गीतों की गूँजे धुन, खुशियों से भर जाए हर गली, आँगन। सम्मान, भरोसा, प्रेम हो गहरा, साथ निभाए हर मौसम में ठहरा। नवजीवन का सुंदर आरंभ, शादी है प्रेम का सच्चा संगम। 
Home » Life Shayari » Ab Khud Ko Sambhal Leta Hu

Ab Khud Ko Sambhal Leta Hu

तजुर्बे के मुताबिक़ खुद को ढाल लेता हूँ!
कोई प्यार जताए तो जेब संभाल लेता हूँ!!

वक़्त था साँप की परछाई डरा देती थी!
अब एक आध मैं आस्तीन में पाल लेता हूँ!!

मुझे फाँसने की कहीं साजिश तो नहीं !
हर मुस्कान ठीक से जाँच पड़ताल लेता हूँ!!

बहुत जला चुका उँगलियाँ मैं पराई आग में!
अब कोई झगड़े में बुलाए तो मैं टाल देता हूँ!!

सहेज के रखा था दिल जब शीशे का था!
पत्थर का हो चुका अब मजे से उछाल लेता हूँ!!

Comments